भिवानी।
पुलिस अधीक्षक महोदय वरुण सिंगला आईपीएस ने आमजन को सूचित करते हुए कहा है कि लाउड स्पीकर ओर माईक जो 10 D.B से ज्यादा ध्वनि उत्पादित करता है। उसका प्रयोग बिना किसी अनुमति के कानूनन वर्जित है और इस संबध में माननीय पंजाब एंड हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा दिनांक 22.07.2019 को निर्देश पारित करते हुए स्पष्ट किया गया है कि लाउड स्पीकर और माइक का बैगर किसी लाइसेंस के किसी भी व्यक्ति द्वारा किसी भी प्रयोजन के लिए प्रयोग करना कानूनन अपराध तो है ही इसके साथ- साथ इसे माननीय सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के आदेशों का उलंघन भी है।
लाउडस्पीकर एवं सार्वजनिक घोषणा प्रणाली वाद्ययंत्र और ध्वनिवर्धक यंत्रो का प्रयोग रात के समय नहीं किया जाएगा। जो केवल ऑडिटोरियम, कान्फ्रेंस हाल, सामुदायिक हाल, बैंक्विट हॉल में ध्वनि प्रदूषण नियम 2000 में दिए गए प्रावधान अनुसार ही प्रयोग किया जाना मान्य होगा।
लाउडस्पीकर एवं सार्वजनिक घोषणा प्रणाली का प्रयोग रात्रि 10:00 बजे से सुबह 6:00 बजे तक प्रतिबंधित रहेगा। उनके लिए भी आवाज परिधि 10 डेसिबल के मानक स्तर से ज्यादा नहीं होगी। निजी स्वामित्व वाले स्थानों पर ध्वनि उत्पादन उपकरण का परिधि 5 डेसिबल मानक स्तर से ज्यादा का नहीं होगा।
साइलेंस जोन में होरन पूर्णतया प्रतिबंध है और रिहायशी इलाकों में केवल आपातकालीन स्थिति को छोड़कर रात्रि 10:00 बजे से सुबह 6:00 बजे तक कोई व्यक्ति और उनका प्रयोग नहीं कर सकता। इसके अतिरिक्त निर्माण कार्यों में भी रात्रि 10:00 से सुबह 6:00 तक ध्वनि उत्पन्न करने वाले यंत्रों का प्रयोग नहीं किया जा सकता। वही प्रेशर होरन समस्त राज्य में प्रतिबंधित है यदि कोई व्यक्ति इनका उल्लंघन करता है तो ध्वनि प्रदूषण नियम 2000 के तहत दंडनीय होगा।
वार्षिक परीक्षाओं एवं परीक्षाओं के दौरान 15 दिन पूर्व किसी भी को लाउडस्पीकर के लिए इजाजत ना दी जाए।
सर्व साधारण को इस विज्ञप्ति के माध्यम से सूचित किया जाता है कि कोई भी व्यक्ति लाउड स्पीकर या माइक का जहा पर छूट है उन मामलों के अतिरिक्त बिना लाइसेंस के किसी भी व्यक्तिगत अथवा सार्वजनिक प्रयोजन हेतु प्रयोग ना करें। अगर कोई व्यक्ति लाउड स्पीकर अथवा माइक का प्रयोग करता पाया गया तो उसके विरुद्ध Noise Pollution Act और भारतीय दण्ड संहिता के अंतर्गत दिए गए प्रावधान के अनुसार अभियोग अंकित कर कानूनी कार्यवाही अमल में लाई जाएगी और माननीय सर्वोच्च न्यायालय व उच्च न्यायालय के आदेशों की उलंघना का दोषी माना जाएगा।
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