जीवन को बचाने के लिए जहर मुक्त प्राकृतिक खेती को अपनाना होगा: राज्यपाल आचार्य देवव्रत

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भिवानी।

गुजरात के महामहिम राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि वर्तमान समय में खेती में रासायनिक खादों के प्रयोग से खान-पान जहरीला हो गया है, जिससे हम कैंसर व हर्ट अटैक जैसी अनेक जानलेवा बीमारियों की गिरफ्त में आ रहे हैं। वहीं दूसरी ओर ग्लोबल वार्मिंग भी बढ़ती जा रही है, जिससे बेमौसमी बरसात, बाढ़ तो कभी अकाल का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि केवल प्राकृतिक खेती को अपनाकर ही जल,जमीन और जीवन के साथ-साथ किसान को बचाया जा सकता है। इसके लिए देसी गाय के गोबर व गौमूत्र से बनी खाद का प्रयोग करें। इसी खाद से धरती को सूक्ष्म जीव मिलते हैं, जिनको हमने रासायनिक खाद के प्रयोग से खत्म कर दिया है। सूक्ष्म जीव ही प्राकृतिक खेती का आधार हैं।
राज्यपाल आचार्य देवव्रत वीरवार को राधा स्वामी सत्संग, दिनोद के परम संत हुजूर कंवर साहेब जी महाराज के सानिध्य में भिवानी में रोहतक रोड़ स्थित राधा स्वामी भवन में जन कल्याण, जहर मुक्त प्राकृतिक खेती एवं पर्यावरण संरक्षण हेतू आयोजित कार्यक्रम में आश्रम के अनुयायियों को प्राकृतिक खेती अपनाने का संदेश दे रहे थे। इस दौरान राज्यपाल देवव्रत और संत हुजूर कंवर साहेब जी महाराज ने लगभग 15 हजार से अधिक अनुयायियों को प्राकृतिक खेती अपनाने की शपथ दिलाई। राज्यपाल देवव्रत ने कहा कि राधा स्वामी सत्संग से जुड़े अनुयायी अब तक सदाचार जीवन जीने, नशा मुक्ति, मांसाहार को त्यागने, चोरी न करना व कन्याभू्रण हत्या न करने आदि पांच नियमों का पालन करते रहे हैं और आज से संत हुजूर कंवर साहेब जी महाराज ने अपने अनुयायियों को जो प्राकृतिक खेती अपनाने का संकल्प दिलाया है, वह अपने आप में मानव कल्याण के लिए वरदान होगा।
राज्यपाल देवव्रत ने कहा कि 60 के दशक से पहले कैंसर, शूगर व हर्ट अटैक आदि बीमारी सुनने को नहीं मिलती थी, इसका मुख्य कारण यह था कि हम खेती में रासायनिक खाद व डीएपी का प्रयोग नहीं करते थे, तब हमारा खान-पान शुद्घ था। हवा, पानी और जमीन सब शुद्ध थे। जमीन में उपजाऊ शक्ति पूरी मात्रा में थी, लेकिन इसके बाद हमने खेती में रासायनिक खादों का प्रयोग शुरु कर दिया, जिससे एक तरफ खानपान जहरीला हो गया और वहीं दूसरी ओर 24 प्रतिशत ग्लोबल वार्मिंग बढ़ने का कारण भी रासायनिक खाद का प्रयोग है। उन्होंने कहा कि यदि इसी प्रकार से खेती में रासायनिक खाद का प्रयोग करते रहे तो आने वाले समय में धरती बंजर बन जाएगी और हमें पीने के लिए पानी भी नसीब नहीं होगा। उन्होंने कहा कि हवा-पानी और खान-पान को शुद्ध करना हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती है। इन सबका एक ही उपाय है, जो कि प्राकृतिक खेती को अपनाना है, तभी भावी पीढ़ी बच जाएगी। वे स्वयं अपने कुरूक्षेत्र गुरुकुल की 200 एकड़ भूमि पर खेती में प्राकृतिक खेती करते हैं। उन्होंने कहा कि पौधे को पानी की नहीं केवल नमी की जरूरत होती है, जो प्राकृतिक ढंग से मिल जाती है, जैसे जंगलों में पौधों को मिलती है। प्राकृतिक खेती से वाटर लेवल भी ऊपर आएगा। उन्होंने कहा कि धरती हमारी मां की तरह है, इसके आंचल को घासफूस से ढक़ कर रखें, इससे खेत को नमी मिलेगी। उन्होंने कहा जमीन में रहने वाले सूक्ष्म जीवाणु घासफूस ही खाते हैं। धरती माता सूक्ष्म जीवों का भंडार है, लेकिन रासायनिक खाद उनको मारने काम करती हैं। सूक्ष्म जीव ही प्राकृतिक खेती का आधार हैं। उन्होंने खेत में एक साथ एक से अधिक फसलों की बिजाई करने की सलाह दी जिससे एक-दूसरी फसल के आवश्यक तत्वों की पूर्ति होती है।
अनुयायियों को बताए प्राकृतिक खेती के लिए देशी गाय के गोबर व गौमूत्र से खाद बनाने व प्रयोग के तरीके
राज्यपाल देवव्रत ने अपने संबोधन के दौरान आश्रम के अनुयायियों को प्राकृतिक खेती करने के लिए भारत की किसी भी देसी गाय के गोबर व गौमूत्र से खाद बनाने के तरीके भी विस्तार से समझाए। उन्होंने बताया कि एक गाय से उसके एक दिन के गोबर व मूत्र से एक एकड़ की खाद तैयार हो जाती है। उन्होंने बताया कि एक गाय के एक ग्राम गोबर से 300 करोड़ सूक्ष्म जीवाणु पैदा होते हैं और एक कि.ग्राम गोबर से 30 लाख करोड़ सूक्ष्म जीवाणु पैदा हो जाते हैं। उन्होंने समझाया कि करीब 200 ली. का एक ड्रम लें, उसमें 170 से 180 ली. पानी डालें और फिर से उसमें एक दिन का गोबर डाल दें, उसमें डेढ से दो किलो गुड़, डेढ से दो किलो दाल का बेसन, पेड़ के नीचे की एक मुळी मिट्टी डाल दें। सुबह-शाम चार से पांच मिनट तक उसको किसी डंडे से हिलाएं। सर्दी में छह दिन और गर्मी में चार दिन तक रखें। इसके बाद यह घोल जीवामृत बन जाएगा। यह एक एकड़ की खाद तैयार होगी, इसको खेती में पानी देते समय पानी के साथ छोड़ सकते हैं या फिर उसका सूक्ष्म सिंचाई के माध्यम से पौधे तक पहुंचा सकते हैं, जिससे वह पौधे की जड़ तक चली जाएगी। उन्होंने बताया कि गुड़ जीवाणुओं को मल्टीप्लाई करते हैं और दाल का बेसन ताकत देती है, मिट्टी इसके लिए एक तरह से जामन का काम करती है। हर 20 मिनट में जीवाणु दोगुने हो जाते हैं। ऐसे में ये 72 घंटे तक बढ़ते रहते हैं। छह से आठ दिन के अंदर इस खाद का प्रयोग कर लेना चाहिए। इस खाद से धरती की उर्वरा शक्ति बढग़ी। खाद्य-पदार्थ शुद्घ होंगे, जीवन निरोगी होगा।
हिमाचल में दो लाख किसानोंं को प्राकृतिक खेती से जोड़ा
अपने संबोधन में आचार्य देवव्रत ने कहा कि उन्होंने हिमाचल प्रदेश का गवर्नर रहने के दौरान मात्र चार साल में वहां के दो लाख किसानों को प्राकृतिक खेती के साथ जोड़ा, जिसमें वहां की महिलाओं का सबसे बड़ा योगदान रहा है। इसी प्रकार से उन्होंने कार्यक्रम में मौजूद महिलाओं को भी प्राकृतिक खेती को अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आज का दिन भारत के इतिहास में खेती बाड़ी क्षेत्र में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा।
जैसा खाएंगे अन्न- वैसा ही होगा मन: कंवर साहेब जी महाराज
परम संत हुजूर कंवर साहेब जी महाराज ने अपने प्रवचन में संदेश दिया कि हम जैसा अन्न लेते हैं, वैसा ही हमारा मन हो जाता है। मांसाहार व्यक्ति हिंसक प्रवृत्ति का होता है, जबकि सात्विक आहार वाला व्यक्ति शांत मन और संस्कारवान होता है। उन्होंने कहा कि खान-पान जहरीला होने से इंसान क्रोधित प्रवृत्ति का हो गया है। इसके साथ ही बीमारियों के जकडऩे से अल्प आयु में ही मौत होने लग गई है। अन्न, जल, वायु और मिट्टी शुद्ध हो गई है। उन्होंने संदेश दिया हमें जहर मुक्त प्राकृतिक खेती करनी होगी। कंवर महाराज ने अपने अनुयायियों को जहर मुक्त प्राकृतिक खेती का छठा नियम अपनाने का संकल्प दिलवाया। उन्होंने कहा कि मन शुद्ध होगा तो तभी विचार शुद्ध होंगे, इसके लिए खान-पान शुद्ध होना जरूरी है। तभी समाज और देश उन्नत बनेगा। उन्होंने गुजरात के राज्यपाल देवव्रत द्वारा प्राकृतिक खेती को अपनाने के लिए देशभर में चलाए गए अभियान की मुक्तकंठ से प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से स्वामी दयानंद और स्वामी विवेकानंद ने इंसानियत के लिए अपना संदेश दिया, ठीक उसी प्रकार से आज के समय में आचार्य देवव्रत जहर मुक्त प्राकृतिक खेती के लिए अपना संदेश दे रहे हैं।
राज्यपाल ने कार्यक्रम स्थल पर पहुंचने से पहले आश्रम की व्यवस्थाओं का अवलोकन किया। कार्यक्रम के दौरान परम संत हुजूर कंवर साहेब जी महाराज ने आचार्य देवव्रत को स्मृति चिन्ह व राधा स्वामी का पवित्र ग्रंथ देकर सम्मानित किया वहीं राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने परम संत हुजूर कंवर साहेब को गुजराती शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया। इसी प्रकार से जन कल्याण एवं पर्यावरण संरक्षण हेतू हवन के आयोजक जवाहर मिताथलिया ने राज्यपाल श्री देवव्रत और परम संत हुजूर कंवर साहेब स्मृति चिन्ह भेंट किया। कार्यक्रम का संचालन प्रो. हरिकेश पंघाल ने किया। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।

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