भिवानी :
बढ़ती महंगाई व समय के साथ प्रत्येक सरकारी का पे-स्केल समय-समय पर बढ़ाया जाता है, ताकि कर्मचारियों के समक्ष आर्थिक संकट पैदा ना हो, लेकिन हरियाणा प्रदेश के लिपिक पिछले कई वर्षो से 19900 पे-स्कूल पर अटके हुए है, जो कि गु्रप-सी में सबसे निचला पे-स्केल है। जो कि ना केवल लिपिकों, बल्कि उनके बच्चों के भविष्य के साथ भी खिलवाड़ है। क्योंकि इतने कम पे-स्केल में अब कर्मचारियों का गुजर-बसर मुश्किल होता जा रहा है, ऐसे में सरकार को चाहिए कि वे लिपिकों की 35400 वेतनमान की मांग को पूरा करें।
यह बात काऊज के मीडिया प्रभारी हेमचंद ने क्लेरिकल एसोसिएशन वेलफेयर सोसायटी हरियाणा (सीएडब्ल्यूएस) के बैनर तले स्थानीय लघु सचिवालय के समीप जारी लिपिकों की अनिश्चितकालीन कमल छोड़ हड़ताल के 11वें दिन धरनारत्त लिपिकों को संबोधित करते हुए कही। इस दौरान महिला लिपिकों ने हाथों पर मेहंदी रचाकर सरकार से 35400 का हक मांगा तथा शिवरात्रि का पर्व भी मनाया। इस दौरान धरनारत्त लिपिकों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की तथा सरकार से उनका वेतनमान 35400 किए जाने की पुरजोर मांग की। साथ ही चेतावनी भी दी कि जब तक सरकार उनकी मांग नहीं मानती, उनका संघर्ष यू ही जारी रहेगा। धरने की अध्यक्षता काऊज के सचिव सुनील कुमार एवं मंच संचालन सुमित, विक्रम, मनीषा, रेखा, सुमन तंवर ने किया। धरने का आयोजन काऊज जिला कोर्डिनेटर विजय वर्मा की देखरेख में आयोजित किया जा रहा है।
धरने को संबोधित करते हुए काऊज के मीडिया प्रभारी हेमचंद ने कहा कि जब से हरियाणा प्रदेश का गठन हुआ है, तब से सरकार ने समय-समय पर कई पदों के वेतन को बढ़ाया है। अध्यापक, फार्मासिस्ट, नर्सिंग स्टाफ, जेई के पदों के लिए वेतन को बढ़ाया गया है। लेकिन अभी तक लिपिको का कार्य समीक्षा नहीं हुई जिसके कारण लिपिकों का शोषण हुआ है उन्होंने कहा कि एक समय पर इन पदों पर तैनात कर्मचारियों का वेतन लिपिक के पद पर तैनात कर्मचारियों के बराबर होता था, लेकिन सातवें वेतन आयोग तक लिपिक के पद का वेतन अन्य पदों की तुलना में अपग्रेड ही नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि लिपिकों का वेतन सातवें वेतन आयोग के अनुसार 35400 किए जाने की मांग को लेकर वे कई बार सरकार को अवगत करवा चुके है। यहां तक कि 18 जून को करनाल में प्रदर्शन कर सरकार को चेताया भी गया था कि यदि 4 जुलाई तक उनकी मांग नहीं मानी तो 5 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल की जाएगी। लेकिन उसके बावजूद भी सरकार ने उनकी मांग नहीं सुनी। जिसके चलते मजबूरीवश लिपिकों को स्वयं अपने अधिकारों के लिए सडक़ों पर उतरना पड़ा।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के ओएसडी जवाहर यादव ने वीरवार को राज्य प्रधान विक्रांत सिंह तंवर व महासचिव कर्ण सिंह मोगा के नेतृत्व में पहुंचे प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया था कि एक सप्ताह में उन्हे वार्ता के लिए बुलाया जाएगा। उन्होंने कहा कि यदि उस वार्ता में कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला तो लिपिक इससे भी बड़ा संघर्ष सरकार के खिलाफ करेंगे, जिसकी जिम्मेवारी सरकार की होगी।
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