14 वर्षो से वाशिंगटन में विश्व बैंक में सेवाएं दे रहे हैं नन्दगाँव के धर्मेंद्र दीपक
धरातल पर देश के बढ़ते गौरव को बयां करना मुश्किल :धर्मेंद्र दीपक
वाशिंगटन से दूरभाष पर साक्षात्कार
भिवानी हलचल ।
आपकी खुशी का ठिकाना तब नही रहता जब आप हजारों मील दूर रहते हों और आपके देश के प्रधानमंत्री का आगमन हो। यही नही आगमन पर आपको प्रधानमंत्री से मिलने व स्वागत करने का सुअवसर मिल जाये तो जीवन की सभी खुशियों छोटी नजर आने लगती हैं। हम आपको बता दें कि 14 वर्षो से वाशिंगटन में विश्व बैंक में सेवाएं दे रहे हैं नन्दगाँव के धर्मेंद्र दीपक । दीपक स्वर्गीय सूबेदार मेजर चिरंजी लाल यादव के सुपौत्र हैं। दीपक ने भिवानी हलचल के एडिटर इन चीफ राजकुमार डुडेजा व एडिटर राजेंद्र चौहान से दूरभाष पर बातचीत करते हुए खुशी के पल सांझा किये।
वह विश्व बैंक में करीब 24 वर्षो से सेवारत हैं, फिलहाल वाशिंगटन में पिछले 14 वर्षों से अमेरिका में परिवार सहित रह रहे हैं।धर्मेंद्र दीपक, विश्व बैंक समूह के वाशिंगटन DC,स्थित हैडक्वर्टर में कार्यरत हैं। अपने टेलीफोन साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि यहाँ रहने वाले भारतीय प्रवासी प्रधानमंत्री मोदी जी की अमेरिका की पहली राजकीय यात्रा को लेकर बहुत उत्साहित हैं। दुनिया के दो महान लोकतंत्रों द्वारा कई क्षेत्रों में आपसी सहयोग के लिए एक साथ आना एक ऐतिहासिक क्षण है। आजादी के 76 सालों में भारत ने अपने दूरदर्शी नेताओं व विदेश नीतियों के जरिए बहुत कुछ हासिल किया है और देश प्रगति के पथ पर अग्रसर है। हमारा देश विश्व में शांति और समृद्धि के लिए एक महत्वपूर्ण भागीदार के रूप में उभर रहा है। अमेरिका में लगभग 45 लाख भारतीय मूल के निवासी रहते है । अपनी शिक्षा, मेहनत और शोहर्दपूर्ण स्वभाव से उन्होंने बहुत सम्मान अर्जित किया है और हर क्षेत्र में शीर्ष स्थान प्राप्त कर रहे हैं। ये हर भारतीय के लिए गौरव की बात है।
अमेरिका के राष्ट्रपति निवास (व्हाइट हाउस) द्वारा भारत के प्रधानमंत्री के स्वागत समारोह में भाग लेने के लिए अमेरिका के अलग अलग राज्यो से भारतीय मूल के एक समूह को आमंत्रित किया था। दीपक को भी इस समारोह का आमंत्रण मिला और वो इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बने।
उन्होंने खुशी के पल सांझा करते हुए बताया कि वाइट हाउस में हमारे प्रधानमंत्री जैसा स्वागत ना किसी का हुआ है और शायद जल्दी से देखने को भी ना मिले। जो समारोह में निमंत्रित थे वो ना ही BJP supporter या किसी और राजनैतिक दल के विरोधी थे। ये वो लोग थे जो भारत के विश्व पटल पर बढ़ते हुए क़द का हिस्सा है। आज उन्हें भारत मूल का होना गोरवान्वित महसूस किया।
उनका मानना है कि इंसान जीविका के लिए देश या विदेश में कही जाये लेकिन उन्हें अपनी जड़ से जुड़ा रहना चाहिए। वही से उसकी पहचान है। वे हर साल या दो साल में अपने परिवार के साथ छुट्टियाँ बिताने या पारिवारिक समारोह में शामिल होने अपने पैतृक गाँव नन्दगाँव आते हैं।
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