भिवानी।
जिस प्रकार भूमि में बीज को चाहे औंधा डालो या सीधा वो पक्का पैदा होगा उसी प्रकार नाम सुमिरन तो चाहे खीज के करो या रीझ के करो वो पक्का फलदायी होगा।दुख ही नही सुख में भी नाम का सुमिरन किया करो क्योंकि केवल दुख में स्वार्थ वश सुमिरन करने वाले कि पहचान परमात्मा को भी है।यह सत्संग वाणी परमसंत हुज़ूर कँवर साहेब जी महाराज ने जिला भिवानी के दिनोद गांव में स्थित राधास्वामी आश्रम में प्रकट की।
गुरु महाराज जी ने कहा कि सन्तो की वाणी जीव के लिए हर तरह से कल्याणकारी है।वाणी चाहे चेतावनी की हो,रोचकता की हो या यथार्थ की हो वो जीव की हितकारी है।इनमे यथार्थ वाणी रूह को स्थायी शांति देती है।गुरु महाराज जी ने फरमाया की जो कुछ है वो आपके घट के अंदर है उसे बाहर मत खोजो।यही हेला हर सन्त ने मारा।ये ज्ञान भी तभी आएगा जब पूर्ण सतगुरु मिल जाएगा।राधास्वामी मत मुख्य रूप से तीन बातों पर जोर देता है।प्रेम प्रीत और प्रतीत।जिसमे ये तीन चीजे पैदा हो जाएंगी उसमे अनुराग जागेगा।
राधास्वामी मत के अधिष्ठाता स्वामी जी महाराज कहते है कि ताउंगा तपाउंगा नख से तारूँ खाल।मेरा भक्त ना डिगे तो पल में करू निहाल।सन्त तो निंदा को अपना चौकीदार बनाते हैं।यदि आपका विश्वास गुरु पर टिक गया तो आपका कल्याण निश्चित है।उन्होंने फरमाया कि अगर गुरु का एक वचन भी मान लिया तो जीते जी मुक्ति पा जाओगे।अभी नही तो कभी नही।ये मौका चुके तो बहुत बड़ा अवसर चूक जाओगे।पहले अच्छे इंसान बनो।परोपकार करो दया करो सेवा करो।करो तो अपने लिए करो।जैसे जमींदार यदि अपने खेत की सम्भाल करके अच्छी फसल पा जाता है वैसे ही आप भी अपने जीवन रूपी खेती की सही सम्हाल करो।अपने कर्मो को ठीक करके अपने जगत को और अगत को सँवारो।दया उसको मिलती है जो पात्र है।
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