यूडीआईडी कार्ड होने पर ही दिव्यांगजन को मिलेगा सरकारी योजनाओं का लाभ-राज कुमार मक्कड़

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भिवानी,
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के तहत नियुक्त राज्य दिव्यांगजन आयुक्त राज कुमार मक्कड़ ने कहा कि प्रदेश सरकार दिव्यांगजनों की समस्याओं के समाधान को लेकर गंभीर है। हरियाणा में रहने वाले अन्य प्रांतों के दिव्यांगजन भी अब यहीं पर अपना दिव्यांगता प्रमाणपत्र बनवा सकेंगे, जिनकी संख्या करीब 76 हजार 621 है। यूडीआईडी कार्ड बनवाने की अवधि 31 मार्च से बढ़ाकर अब 30 जून कर दी गई है। अब एक जुलाई से यूडीआईडी होने पर दिव्यांगजन सरकारी योजनाओं का लाभ ले सकेंगे। दिव्यांगजन बिना यूडीआईडी के सरकारी सेवाओं या योजनाओं का लाभ नहीं ले पाएंगे।
मक्कड़ रविवार को स्थानीय लोक निर्माण विश्राम गृह में पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि एक अप्रैल से भारत व हरियाणा सरकार की 18 सेवाओं को यूडीआईडी कार्ड के साथ जोड़ दिया गया है, जिनका लाभ दिव्यांग केवल यूडीआईडी कार्ड होने पर ही ले सकेंगे। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल के नेतृत्व में प्रदेश सरकार दिव्यांगजन की समस्याओं के समाधान को लेकर प्रतिबद्घ है। इसी के चलते प्रदेश सरकार ने पंडित दीन दयाल उपाध्याय के अंत्योदय के सपने के साकार करते हुए दयालु नाम से योजना लागू की, जिसके तहत जिस व्यक्ति की आय एक लाख 80 हजार रुपए तक है और वह कोई व्यक्ति हादसे में दिव्यांग हो जाता है या उसकी मौत हो जाती है तो उसके परिजनों को प्रदेश सरकार पांच लाख रुपए की आर्थिक सहायता प्रदान करेगी।
उन्होंने बताया कि प्रदेश में तीन लाख 39 हजार 190 दिव्यांगजन का रिकार्ड है, जिनकी 40 प्रतिशत दिव्यांगता है। इनमें से करीब दो लाख दिव्यांगजन आयुष्मान योजना का लाभ ले रहे हैं। शेष में कुछ या नौकरी कर रहे हैं या फिर स्कूली बच्चे हैं, जिनकी संख्या साढ़े 32 हजार है। उन्होंने बताया कि स्कूली विशेष विद्यार्थियों की शिक्षा को लेकर प्रदेश में 279 विशेष अध्यापकों की भर्ती प्रक्रिया अंतिम चरण में है तथा 1280 पदों की और नियुक्ति की जाएगी। प्रदेश में दिव्यांगजन को नौकरियों में चार प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि दिव्यांगजनों को उनकी क्षमता के अनुसार सरकारी के साथ-साथ नीजि क्षेत्रों में रोजगार मुहैया करवा जा रहा है। दिव्यांगजन को रोजगार देने वाली कंपनियों को पौन दो लाख रुपए जीएसटी में छूट की दी जा रही है। इसके साथ-साथ दिव्यांगजन को निर्धारित कोटे के अनुरूप रोजगार नहीं देने वाली कंपनियों को कार्रवाई की जा रही है। अनुदान भी बंद किया जा रहा है और आने वाले समय में पैसे की अनुदान की रिकवरी के साथ-साथ धारा 92 दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम के तहत कार्रवाई भी की जाएगी, जिसमें पांच लाख का जुर्माना और पांच साल की सजा अथवा दोनों का प्रावधान है।
उन्होंने बताया कि सरकार की दिव्यांगजन संबंधी योजनाओं में नौकरी में आरक्षण, पदोन्नति में आरक्षण, कृत्रिम अंग को बदलवाना, दो साल की एक्सटेंशन, बस, ट्रेन पास आदि सेवाएं शामिल हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने दिव्यांगजन को बॉयोमैट्रिक हाजरी लगाने में छूट प्रदान की है। प्रदेश के कुल 40 प्रतिशत दिव्यांगता वाले तीन लाख 39 हजार 190 में से दो लाख 51 हजार 88 के कार्ड जनरेट हो चुके हैं। एक लाख सात हजार 734 के आवेदन आए हुए हैं, इनमें 65 हजार 166 मेडिकल से संबंधित हैं। उन्होंने बताया कि जिन्होंने अपने यूडीआईडी कार्ड नही बनवाए हैं, वे कॉमन सर्विस सेंटर पर जाकर अपना पंजीकरण करवाएं, जिसकी सूचना ऑटोमैटिक स्वास्थ्य विभाग के पास चली जाती है। उसके बाद स्वास्थ्य विभाग के संबंधित सीएमओ कार्यालय से दिव्यांगजन के पास कॉल आएगी, यह व्यवस्था इसलिए की है ताकि दिव्यांगजन की समय बर्बाद न होने के साथ-साथ परेशानी न हो। प्रदेश के सभी 22 जिलों में मेडिकल प्रमाण पत्र बनाने की व्यवस्था स्वास्थ्य विभाग के पास है।
दिव्यांगजन आयुक्त मक्कड़ ने बताया कि जो परमानेंट दिव्यांग हैं, उनको फिर से एसेसमेंट करवाने की जरूरत नहीं है, उनको केवल पंजीकरण करवाएंगे ताकि स्वास्थ्य विभाग से वेरिफाई हो जाए। वेरीफिकेशन होने पर विवरण ऑटोमैटिक अपलोड हो जाता है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में एक लाख से अधिक दिव्यांगजन पेंशन ले रहे हैं। एक अप्रैल से एक लाख से अधिक दिव्यांगजन को 2750 रुपए प्रतिमाह पेंशन दी जाएगी, जो यूपी और एमपी को छोडक़र देश के किसी भी प्रांत से अधिक है। उन्होंने बताया कि दिव्यांगजनों में कौशल विकसित करने को लेकर विगत 26 जनवरी से देशभर के सभी प्रांतों में दिव्य मेले आयोजित किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि दिव्यांगजन की हर जायज मांग का समाधान किया जा रहा है।
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