मुख्यमंत्री मनोहर लाल के कुशल नेतृत्व में प्रदेश सरकार प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन देने के लिए भरसक प्रयास कर रही है। प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा कई योजनाएं भी चलाई जा रही हैं। इन्हीं योजनाओं का परिणाम है कि अब किसान रासायनिक खेती से प्राकृतिक खेती की ओर जा रहे हैं। इसी सिलसिले में शुक्रवार को कुरुक्षेत्र गुरुकुल में प्राकृतिक खेती पर समीक्षा बैठक आयोजित होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज बेशक हम खाद्यान्नों के मामले में आत्मनिर्भर हैं, परन्तु इसके लिए हमें एक बहुत बड़ी कीमत भी चुकानी पड़ी है। हमने खाद्यान्नों के मामले में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए रासायनिक खादों, खरपतवारनाशकों और कीटनाशकों का अंधाधुंध प्रयोग किया। जिससे जमीन, जल और वायु प्रदूषित हुए। इसके साथ ही, कृषि की उत्पादन लागत बढ़ी है और उत्पादकता में कमी आई है। यही कारण है कि आज किसान विशेषकर युवा वर्ग खेती से विमुख होने लगा है।
मनोहर लाल ने कहा कि प्राकृतिक खेती समृद्धि का साधन होने के साथ-साथ हमारी धरती मां का सम्मान और सेवा भी है। इससे किसानों की लागत कम होगी और किसानों की आय पहले साल से ही बढ़ेगी। प्राकृतिक खेती से धरती की सेहत बेहतर होगी और लोगों को अच्छी गुणवत्ता वाले उत्पाद भी मिल सकेंगे। यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां भारत ने सदियों से दुनिया का नेतृत्व किया है, इसलिए अब समय आ गया है कि हम प्राकृतिक खेती के रास्ते पर आगे बढ़ें।
उल्लेखनीय है कि कुरुक्षेत्र गुरुकुल में आयोजित होने वाली इस समीक्षा बैठक में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साथ गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल, गुजरात के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राघव पटेल, हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जय प्रकाश दलाल, केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के सचिव मनोज आहूजा, हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुमिता मिश्रा तथा केन्द्र व राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहेंगे।
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