इटानगर।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग जिले के बैसाखी में 13 हजार फीट की ऊंचाई पर बनी सेला टनल का उद्घाटन किया। यह इतनी ऊंचाई पर बनी दुनिया की सबसे लंबी डबल लेन टनल है। चीन सीमा से लगी इस टनल की लंबाई 1.5 किलोमीटर है। PM ने इसके अलावा 55 हजार से अधिक के प्रोजेक्ट्स का लोकार्पण-शिलान्यास किया।
टनल के बनने से आम लोगों के अलावा सेना को भी इससे फायदा होगा। टनल चीन बॉर्डर से लगे तवांग को हर मौसम में रोड कनेक्टिविटी देगी। बारिश, बर्फबारी के दौरान यह इलाका देश के बाकी हिस्सों से महीनों कटा रहता था। LAC के करीब होने के कारण यह टनल सेना के मूवमेंट को खराब मौसम में और भी बेहतर बनाएगा।
प्रधानमंत्री ने इस दौरान लोगों को संबोधित करते हुए कहा- पूरे देश में विकसित राज्य से विकसित भारत का राष्ट्रीय उत्सव तेज गति से जारी है। हमने जो काम 5 साल में किए कांग्रेस को उसे करने में 20 साल लगते। पूरा नॉर्थ ईस्ट देख रहा है कि मोदी की गारंटी कैसे काम कर रही है।
प्रधानमंत्री ने एक बार फिर परिवारवाद का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा- कांग्रेस के INDI गठबंधन के परिवारवादी नेताओं ने मोदी पर हमले बढ़ा दिए हैं और आजकल वो पूछ रहे हैं कि मोदी का परिवार कौन है। गाली देने वालों कान खोलकर सुन लो- अरुणाचल के पहाड़ों में रहने वाला हर परिवार कह रहा है कि ये मोदी का परिवार है।
PM ने कहा- आज यहां एक साथ 55 हजार करोड़ रुपए से अधिक के प्रोजेक्ट्स का लोकार्पण या शिलान्यास हुआ है। आज अरुणाचल प्रदेश के 35 हजार गरीब परिवारों को अपने पक्के घर मिले हैं।अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा के हजारों परिवारों को नल कनेक्शन मिले हैं, नॉर्थ ईस्ट के अलग अलग राज्यों में कनेक्टिविटी से जुड़े अनेक प्रोजेक्ट्स का शिलान्यास और लोकार्पण हो रहा है।
PM ने कहा- पूर्वोत्तर के विकास पर हमने जितना निवेश बीते 5 साल में किया है। इतना ही काम करने के लिए कांग्रेस को 20 साल लग जाते हैं। मोदी की गारंटी क्या होती है, ये आपको अरुणाचल में आकर साफ दिखता है। पूरा नॉर्थ ईस्ट देख रहा है कि मोदी की गारंटी कैसे काम कर रही है।
अरुणाचल प्रदेश के सेला पास के नजदीक बनी यह टनल बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (BRO) ने बनाई है। टनल के बनने से चीन बॉर्डर तक की दूरी 10 किलोमीटर कम हो जाएगी। यह टनल असम के तेजपुर और अरुणाचल के तवांग को सीधे जोड़ेगी। दोनों जगह सेना के चार कोर मुख्यालय हैं, जिनकी दूरी भी एक घंटे कम हो जाएगी।
बारिश, बर्फबारी और लैंडस्लाइड के दौरान बालीपारा-चारीद्वार-तवांग मार्ग साल में लंबे समय तक बंद रहता है। टनल के बनने के बाद मिलिट्री का मूवमेंट चीन की सीमा तक बेहतर हो गया है। सेना कम समय में हथियार और मशीनरी मूव कर पाएगी। 1962 में चीनी सैनिक इस क्षेत्र में भारतीय सेना के साथ भिड़ गए थे और तवांग शहर पर कब्जा कर लिया था।
2019 में PM ने जब इस टनल की आधारशिला रखी थी, तब इसकी लागत 697 करोड़ आंकी गई थी। अब इसकी लागत 825 करोड़ रुपए है। टनल को अप्रैल 2023 तक पूरा करना था। हालांकि, कोरोना की वजह से इसके बनने में देरी हुई।
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