भिवानी।
उपायुक्त नरेश नरवाल ने कहा कि आज के दिनों में साईबर क्राईम बढ़ाता ही जा रहा है, इससे सावधानी व सर्तकता से ही बचाव हो सकता है। व्यक्तियों और व्यवसायों के लिए सबसे बड़ा साइबर अपराध खतरा फिशिंग हमले और ईमेल घोटाले हैं। कुछ फिशिंग ऑप्रेशन जैसे फेसबुक फिशिंग अटैक ने एक साथ लाखों लोगों को प्रभावित किया। ये साइबर अपराध सबसे अधिक लोगों को प्रभावित करते हैं और ऐसा अक्सर करते हैं। व्यक्तियों के साथ-साथ डिजिटलता से बच्चे भी अछुते नहीं है। इसीलिए हमें सबसे पहले साईबर क्राईम से बच्चों को जागरूकत करना है। साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करके आप साइबर फ्रॉड की शिकायत कर सकते हैं।
बच्चों को ऑनलाइन सुरक्षित रखने के लिए क्या करे:
आपनी व्यक्तिगत जानकारी जैसे कि अपना पता, फोन नंबर, पासवर्ड, ईमेल आदि जानकारी किसी भी अनजान व्यक्ति से साझा न करें। यदि आपके साथ कोई भी व्यक्ति ऑनलाइन माध्यम से असभ्य या आक्रामक होने की कोशिश करे तो चुप ना रहें। ऐसे व्यक्ति को जल्द से जल्द ऑनलाइन ब्लॉक करें और उसकी प्रोफाइल रिपोर्ट करें। ऑनलाइन माध्यम से किसी भी व्यक्ति के साथ कोई भी अनुचित तस्वीर साझा न करें। किसी भी तस्वीर के साथ अपनी लोकेशन जैसे की स्कूल का नाम, घर का पता आदि या व्यक्तिगत जानकारी को कभी भी ऑनलाईन शेयर न करें।
उन्होंने कहा कि अनजान लोगों के ईमेल या अटैचमेंट न खोलें ऐसे अटैचमेंट या ईमेल स्पैम हो सकते हैं, जिसमें किसी प्रकार की अश्लील व अवैध जानकारी भी हो सकती है। याद रखें कि आप जिन स्थानों पर रोजाना जाते हैं, वहां की जानकारी किसी को ऑनलाइन माध्यम से सांझा न करें। उन लोगों के साथ ऑनलाइन ‘मित्र‘ न बनें जिन्हें आप व्यक्तिगत रूप से नहीं जानते हैं। ऑनलाइन अजनबी असल जिन्दगी के अनजान व्यक्ति से भी अधिक खतरनाक हो सकता है। ऐसे व्यक्ति जिससे आप ऑनलाइन माध्यम से मिले हो उससे व्यक्तिगत रूप से मिलने की कभी भी कोशिश न करें। यदि बच्चे अपने किसी ऑनलाईन मित्र से मिलते है तो इसकी जानकारी अपने अभिभावक व स्कूल के टीचर को अवश्य दें। अभिभावक भी अपने बच्चों की ऑनलाईन एक्टिवीटी पर नजर रखें। बच्चे भी अगर ऑनलाइन ऐसा कुछ भी देखते हैं या पढ़ते है जो आपको चिंतित करता है, आपको असुरक्षित या असहज महसूस कराता है, उसकी सूचना अपने माता-पिता या जिसपर आप अधिक भरोसा करते हो को जरूर दें।
बच्चों को ऑनलाइन सुरक्षित रखने के लिए क्या न करे:
अपनी ऑनलाइन प्रतिष्ठा को हानि न होने दे। ऐसी सेवाओं का उपयोग करें जो आपको ऑनलाइन सुरक्षित रख सके और ऑनलाइन माध्यम में आपकी डिजिटल निशानियों (जिन जिन साइट्स में आप विजिट करते हैं, को सुरक्षित रख सके। कुछ भी पोस्ट करने से पहले कृप्या दो बार सोचें। अपनी मदद के स्रोत से अनजान न रहे। ऑनलाइन माध्यम में सर्विस प्रोवाइडर को अपने प्रति होने वाली बदतमीजी या हिंसा के बारे में किस तरह रिपोर्ट-शिकायत करनी है यह जानना जरूरी है।
उन्होंने बताया कि जिस भी ऑनलाइन माध्यम या वेबसाइट का आप इस्तेमाल करते है, उसकी पूरी जानकारी रखें और किसी भी तरह का दुव्र्यवहार न सहे। जरूरत पडऩे पर ऑनलाइन मदद के लिए अपने माता-पिता, शिक्षक, परामर्शदाता, चाइल्ड हैल्प लाइन या पुलिस को सूचित करें। उन्होंने बताया कि बच्चों के लिए टोल फ्री हेल्पलाइन की चाईल्डलाइन 1098 पर कॉल किया जा सकता है। इसके साथ-साथ पुलिस हैल्प लाईन नंबर 112 कर सकते हैं। साईबर क्राईम की तत्काल रिपोर्टिंग के लिए एनसीपीसीआर के पीओसीएसओ ई- बॉक्स में शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि गैरकानूनी या अवैध कार्यों में शामिल न हो। विश्वसनीय सेवाओं का उपयोग करें और जानें कि कैसे कानूनी रूप से आप संगीत फिल्म और टीवी का उपयोग कर सकते है। ऑनलाइन माध्यम से किसी भी तरह के गैरकानूनी या अवैध कार्यों में शामिल न हो। यदि आप ऑनलाइन माध्यम से किसी भरोसेमंद सामग्री जैसे आर्टिकल, संगीत, कविता आदि का उपयोग कर रहे है तो उसके स्रोतों को स्वीकृति जरूर दे। ऐसे स्रोतों का उपयोग करते समय क्रेडिट देना याद रखें। विभिन्न ऑनलाइन माध्यम में इस्तेमाल होने वाला आपका पासवर्ड एक न हो। अपने कंप्यूटर को नियमित रूप से अपडेट करना न भूलें ताकि खुद को स्कैमर और हैकर्स से बचा जा सकें।
बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा के लिए ध्यान में रखने वाली कुछ अहम् बातें:
उन्होंने बताया कि माता-पिता व टीचर्स विशेष रूप से ध्यान दें कि बच्चों की साइबर सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कुछ विशेष ध्यान रखना होगा। किसी को भी किसी व्यक्ति या बच्चे के बारे में अपमानजनक बातें या अफवाह या टिप्पणी पोस्ट करने की अनुमति नहीं देना, किसी को भी शर्मनाक या नग्न अनुचित फोटो या वीडियो प्रकाशित करने की अनुमति नहीं देना शामिल है। इसके साथ-साथ किसी अन्य व्यक्ति के बारे में नकली या अनुचित वेबपेज बनाने की अनुमति न दें। बच्चों को किसी को भी ऑनलाइन धमकी जारी करने की इजाजत नहीं दे, ऐसा करने से पीडि़त व्यक्ति खुद को मारने या किसी प्रकार का नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर सकता है। ऑनलाईन माध्यम से नकली पहचान बनाना या गलत इरादे से किसी को धोखा देना अपराध है। माता-पिता को अपने बच्चों को यह विश्वास दिलाना चाहिए कि वह हर रूप और कठिनाइयों में उनके साथ है और यदि ऑनलाइन माध्यम से कोई व्यक्ति उन्हें परेशान करने की कोशिश करता है तो इसकी शिकायत संबंधित अधिकारियों जैसे की चाइल्ड हैल्प लाइन, राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग, पुलिस, जिला बाल संरक्षण इकाई आदि को दी जा सकती है।
डीसी ने कहा कि यदि कोई माता-पिता, शिक्षक और छात्र की जानकारी कोई साईबर क्राइम आता है, तो उन्हें इसकी सूचना पुलिस अधिकारियों को देनी चाहिए। ऐसे व्यक्ति के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।
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